बलिया।अखिल भारतीय बौद्ध महासभा इकाई द्वारा रविवार को टाउनहाल में बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्वांचल के कई जनपदों के बौद्ध भिक्षु शामिल रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ महात्मा बुद्ध एवं डा. भीमराव अम्बेडकर और सम्राट अशोक के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप जला कर किया गया। इसके पूर्व प्रातः बौद्ध भिक्षुओ ने कलेक्ट्रेट स्थित अशोक स्तम्भ तथा डा. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर नमन किया । बौद्ध महोत्सव को सम्बोधित करते हुए बौद्ध पंडितानन्द ने कहा कि विश्व शांति के लिए महात्मा बुद्ध के विचार ही सहायक है, जिसमें करूणा और मानवता का संदेश भरा हुआ है। उन्होनें कहा कि मानवता ही बुद्ध का संदेश है और बाबा साहब का संविधान जो समता और समानता का अधिकार देता है। संविधान की रक्षा से ही लोगो का मान, सम्मान और अधिकारों की रक्षा होगी। कहा कि बौद्ध धर्म ईश्वरवादी नही, तर्कशील, विवेकशील तथा ज्ञानवादी बनाता है। कहा कि निरर्थक सोच ही दुःख का कारक है। शिववचन बौद्ध ने धम्म की प्रासंगिकता को समझाते हुए कहा कि धम्म को जानने वाला दुखी नही होता और वही पंचशील लोगो को जीवन जीने का कला सिखाता है। चित्र से चरित्र का निर्माण होता है। आप जैसा चित्र बनाओगे वैसा ही चरित्र का निर्माण होगा। भंते आर्यवंश ने कहा कि महात्मा बुद्ध चक्रवर्ती सम्राट के साथ ही चक्रवर्ती संत थे। बुद्ध के बताये रास्ते पर चलने की जरूरत है। बुद्ध के धम्मको समझे बिना मानव कल्याण की कल्पना नही की जा सकती है। कहा कि भारत ज्ञान का देश है और यहां का ज्ञान कई देशो में फैला है। कहा कि राहुल सांकृत्यायन ने बहाना न बनाओ, रास्ता ढूढों का नारा दिया था। महात्मा बुद्ध ने रास्ता ढूॅढा और बाबा साहब ने उसे संजोया। जीयो और जीने दो का संदेश हमें घर-घर में पहुॅचाना होगा, यही महात्मा बुद्व का संदेश है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से धम्बोधी, धम्सेन, देवराज बौद्ध, आम्रपाली, इंजीनियर रमाकांत वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, विनायक मौर्य, अशोक मौर्य, साथी रामजी गुप्ता, रामकृष्ण यादव, लक्ष्मण यादव, पंडित नागेश्वर जी, शिवकुमार राम आदि सम्बोधित किया। अध्यक्षता बालजीत कुशवाहा तथा संचालन बृजेश बौद्ध ने किया।
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