हजारों साल का इतिहास साखी हैं कि ये धरती, मुहब्बत में भी खांटी है,बग़ावत में भी खांटी है-डा.शशिप्रेमदेव

बलिया। कविवर डा. शशिप्रेमदेव की पंक्ति ने कि" निराला है ज़िला अपना, करिश्माई ये माटी है। कहीं खुश्बू गुलाबो की,कहीं सत्तू की बांटी है। हजारों साल का इतिहास साखी हैं कि ये धरती, मुहब्बत में भी खांटी है,बग़ावत में भी खांटी है। की प्रस्तुति समग्र क्रांति के अग्रदूत भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की120वीं जयन्ती के अवसर पर मुख्य अतिथि सुनील सिंह ने कहा कि जेपी ने कहा कि मैं जिस टीले पर खड़ा हूं वहां सम्पूर्ण भारत दिखाई पड़ रहा है।कहा कि स्वार्थ की संलिप्तता से क्रांति की उम्मीद बेमानी है।  लोक नायक जयप्रकाश नारायण स्मारक समिति के बैनर तले बापू भवन में आयोजित श्रद्धांजलिसभा में व्यक्त किये। जयंती समारोह की अध्यक्षता कर रहे पंडित सेनानी राम विचार पाण्डेय ने जेपी के समग्र क्रांति आन्दोलन की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई और अंग्रेजी शासन को देश से खदेड़ने के लिए हमारे शहीदों ने अनेकों कुर्बानियां दी है।आदर, त्याग ने उन्हें देश का नेता बनाया।आज के नौजवानों को समग्र क्रांति से प्रेणा लेनी चाहिए।इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी नेता धनराज सिंह ने कहा कि बकुल्हा रेलवे स्टेशन का नाम जेपी के नाम पर रखने की वकालत करते हुए उन्हें नमन किया।इस अवसर पर राकेश श्रीवास्तव, हिमांशु श्रीवास्तव ,मुन्ना यादव ,पवन कुमार सिंह ,विनोद सिंह ,बबलू नागाजी , राधिका तिवारी आदि शामिल रहे। संचालन डा.शशिप्रेम देव और आभार डॉक्टर दयाल शरण वर्मा ने व्यक्त किया। अंत में 2 मिनट मौन धारण कर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी गई। 

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