गाजीपुर। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती ने एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को अपनाते हुए पूर्वांचल की महत्वपूर्ण सिटों में जनपद की एक सीट पर आजमाने के साथ सुभासपा-सपा गठबंधन के संयोजक ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ अपना प्रत्याशी शादाब फातमा को चुनावी मैदान में उतारा है। चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगी है। प्रत्याशियों ने नामांकन भी शुरु कर दिया है। नामांकन के दौरान बसपा ने जहूराबाद विधानसभा में भी अपनी रणनीति में फेर-बदल करते हुए दूधानाथ उर्फ बुझारत राजभर का टिकट काटकर पूर्व मंत्री शादाब फातिमा को अपना उम्मीदवार को हरी झंडी दे दिया है। जिससे जहूराबाद विधानसभा की राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के माथे पर अचानक चिन्ता की लकीरें स्पष्ट नजर आना स्वाभाविक लग रहा है, क्योंकि भाजपा चुनाव के खेल में अगर कोई खेल कर दे तो निश्चित ही परिणाम अप्रत्याशित करने वाले आयेंगे। इस विधानसभा में सर्वाधिक मतदाता राजभर और दलित हैं। इसके बाद यादव और मुसलमान ,कुशवाहा बिरादरी के मतदान है। सवर्णो की तादात भी कम नहीं की जा सकती जो अच्छी बताती जा रही है। शादाब फातिमा अपने मूल वोट को लेकर मुस्लिमों के मतों के साथ ओमप्रकाश राजभर जैसे कद्दावर नेता को टक्कर देने के लिए जो चक्रव्यूह बना रही हैं। उससे विधानसभा में चौथी बार बसपा परचम लहराने में जुटी हुई है। एक बार पूर्व राज्य मंत्री इश्तियाकअंसारी और दो बार काली चरण राजभर हाथी की सवारी कर विधानसभा पहुंचे हैं, तो वहीं ओमप्रकाश राजभर भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी बनकर विधानसभा पहुंचे हैं। नामांकन करने आये ओमप्रकाश राजभर ने अपनी बड़ी जीत का दावा तो किया है। अब देखना है कि बसपा के प्रत्याशी बदलने के बाद यहां का चुनावी परिणाम क्या होता है।
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