कुण्डली सम्राट कामरेड लालजी सहाय लोचन का निधन, साहित्यकारों में शोक

बलिया। पूर्वांचल के सुविख्यात व्यगंकार और कुडंली सम्राट रहे  का०लालजी सहाय लोचन जिनकी लेखनी ने सत्ता, समाज और साहित्य की विद्रूपता पर हमेशा प्रहार किया।श्री लोचन अब हमारे बीच नहीं रहे। जिले में साहित्य जगत के क्षितिज पर व्यंग,और कुंडलियों के वे सशक्त हस्ताक्षर रहे।दैनिक भृगुक्षेत्र की कुण्डलियों  से ख्यात अर्जित करने के बाद दैनिक बलिक्षेत्र के प्रधान संपादक रहे, इसके बाद उन्होंने स्वयं आजाद पत्र नामक समाचार पत्र का कई वर्षों तक सम्पादन किया। इसकेे साथ दैनिक अनन्तवार्ता में बतौर सम्पादक जुड़े रहे। उनके भृगुक्षेत्र अखबार का कालम चूं चूं के मुरब्बा और चिकोटियां के साथ ही बलिक्षेत्र में बकोटाराम ने उन्हें आम लोगों के बीच पहुंचा दिया।  लोचनजी की कुण्डिलियां आज भी प्रासंगिक लगती है। वे ऐसे स्तम्भकार रहे, जिन्होंने रोज एक अलग रचना लोगों के बीच परोसा। रचनाकार लालजी सहाय लोचन जी का 95 वर्ष की अवस्था में गुरुवार  09 दिसम्बर 2021 को काशीपुर स्थित आवास पर निधन हो गया। इनका अंतिम संस्कार महाबीर घाट गंगा तट पर सोमवार किया जायेगा।इनके निधन पर वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ० जनार्दन राय, शिवजी पाण्डेय रसराज,डा०राजेन्द भारती, शशिप्रेमदेव, डाॅ० कादम्बिनी सिंह, लाल साहब सत्यार्थी, रमेशचंद श्रीवास्तव, मुशीर ज़ैदी,राजेश्वर प्रसाद राजगुप्त, भोजपुरी भूषण नन्दजी नंदा, रमाशंकर मनहर, प्रभाकर पपीहा, डाॅ० जितेन्द्र स्वाध्यायी, शिवकुमार कौशिकेय, जितेन्द्र त्यागी, फतेहचंद बेचैन, नवचंद तिवारी, शाद बहराइची, अली अहमद संगम, सिराज खान आदि ने जिले के साहित्य जगत के  लिये अपूरणीय क्षति बताते हुए गतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गयी। 

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