बलिया।शहर में कोई न कोई समस्या नगर पालिका के यशस्वी चेयरमैन कथित समाज सेवी अजय कुमार की अनदेखी के चलते नगर को नरक बनाने में सहयोगी साबित होती रहती है। पिछले दिनों शहर प्रमुख चौराहों की दुर्दशा को प्रमुखता से उजागर किया तो नगर पालिका परिषद प्रशासन ने आनन-फानन में उन गढ्ढों में पत्थर के क्यूब डाल कर छोड़ दिया गया,वह भी केवल प्रमुख चौराहों पर जिसका नजारा आज भी देखा जा सकता है। उक्त मरम्मत कार्य के नाम कितने का राजस्व खर्च हुआ, इसके बारे स्पष्ट जानकारी देने से नगरपालिका के चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी दोनों फिलहाल कतरा रहे हैं। आखिर नगर पालिका परिषद की सड़कों के रख-रखाव के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाये।ठीक यही स्थिति में विगत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भी करोड़ों रुपए खर्च करने के भी नगर के विभिन्न स्थानों जिनमें क्राति मैदान के मुख्य पर, दुर्गा मंदिर जापलिनगंज, के समीप के तीराहे, चित्तू पाण्डेय चौराहे से टीडी कालेज मार्ग बिशुनीपुर दवा मण्डी सहित आधे दर्जन स्थानों पर मंगलवार की अपरान्ह तक कुड़े का साम्राज्य स्थापित रहा, जबकि नगर पालिका के अनुसार विशेष होने अथवा पर विशेष सफाई अभियान चलाने और चुना आदि का छिड़काव कराये जाने की हमेशा से परम्परा रही है । मंगलवार को चेहल्लुम के दिन भी सरकार विरोधी मानसिकता के चलते नगर पालिका प्रशासन ने सरकार की छवि खराब करने और उसे अल्पसंख्यक समुदाय विरोधी प्रमाणित करने में लगी रही। फिर भी भ्रष्टाचार में लिप्त नगर पालिका प्रशासन को प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों का वरदहस्त प्राप्त होने के कारण नगर पालिका प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच योगी सरकार में फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जिसके चलते नगरपालिका के कथित समाजसेवी और अधिशासी अधिकारी नगर के सुंदरीकरण के नाम पर बे रोक टोक जुड़े हुए हैं। नगर की इस नरकीय स्थिति के आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया लिए जाए । या नगरवासी नर्क में जीने की है आदत को अंगीकार कर ले।
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