नेस्ले इंडिया कंपनी के सीएमडी सुरेश नारायणन सहित17लोग धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय ने किया तलब


बलिया। न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने धोखाधड़ी के मामले में नेस्ले कंपनी के प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन सहित संजय कौल, सुशील केशरवानी, प्रियंका गहलोत, विजय यादव, पी गणेश, संजय डेगरी,  सेल्स मैनेजर रातुल चंद्रा, गौरव रघुवंशी, दीपक उपाध्याय, समीर अग्रवाल, विशाल सिंह, मृदुल मिश्रा, दिनेश कुमार, पंकज कुमार, रामबाबू अनिल अग्रवाल को भारतीय दंड  की धारा 406, 420, 120 बी के तहत नेस्ले इंडिया कंपनी नई दिल्ली को तलब किया है। सेल्समैन विशाल सिंह न्यूट्रिशन ऑफिसर दिनेश कुमार , पंकज कुमार जो नेस्ले इंडिया कंपनी में कार्यरत अधिकारियों को 28 अक्टूबर 2021 को अपने न्यायालय में लंबित चल रहे मुकदमा जो मनोज कुमार बनाम सुरेश नारायणन एवं अन्य के विचाराधीन विवाद के निस्तारण हेतु तलब किया गया है। इस संबंध में परिवादी का कहना है कि उसके पिता स्व० चंद्रिका प्रसाद आर्य समाज रोड स्थित लवली स्टोर नामक से को 1 दिसंबर 1990 को कंपनी के उत्पादों को बेचने के लिए वितरक नियुक्त किया गया था।  परिवादी ने 1991 में ही एजेंसी का कार्यभार संभालकर  कंपनी के उत्पादों को बलिया, गाजीपुर, मऊ में  वितरण को पूरी तरह तन्मयता के साथ करता रहा। कंपनी के निर्देश पर मेरे द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा से ₹30लाख का ऋण लेकर कंपनी के उत्पादों को रखने के लिए गोदाम का निर्माण करने और कंपनी के उत्पादों को खरीदने के लिए एचडीएफसी बैंक से एक करोड़ 75लाखकी सीसी ॠण भी ले लिया। जिससे कंपनी का भुगतान करता रहा । इसी बीच कंपनी के पदाधिकारी संजय डेंगरी सेल्स मैनेजर अतुल चंद्र, सेल्समैन समीर अग्रवाल, पायलट सेल्समैन विशाल सिंह, न्यूटीशिन अधिकारी दिनेश कुमार गुप्त न्यूट्रिशन पंकज कुमार जो सभी नेस्ले इंडिया लिमिटेड ,नई दिल्ली के अधिकारियों द्वारा बिक्री की कमीशन धनराशि 5% अवैध रूप से मांगे जाने के साथही दूसरा वितरक नियुक्त करने की धमकी भी दी गयी। कंपनी के नियमानुसार  यदि माल एक्सपायर डेट का हो जाता है तो कंपनी उसे नष्ट करके सममूल्य का माल वितरक को वापस दे देती है। इसी बीच वर्ष 2014 में कंपनी के उत्पाद मैगी को लेकर कंपनी और सरकार के बीच विवाद हुआ, जिसमें मैगी की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया जिसके कारण  गोदाम में रखा हुआ 24लाख89787 रुपए का माल एक्सपायर हो गया,जिसके बाद  वेस्ट गुड की श्रेणी में आये माल को  कंपनी के निर्देशानुसार कंपनी के अधिकृत अधिकारियों के समक्ष जिसमें संजय डांगरी ,रायपुर चंद्रा गौरव रघुवंशी, समीर अग्रवाल, दीपक उपाध्याय, ऑडिटर ए के मिश्रा की उपस्थिति में 18 अगस्त 15 को मिलान कराकर नष्ट करा दिया गया। इसके बाद कम्पनी के लोगों द्वारा पीड़ित से 2 लाख 50 हजार के कमीशन की मांग की गई । जिसके इनकार करने पर नष्ट किए गए माल की कीमत 7 लाख29960 रुपए दिखा कर कहा गया कि हम  लोग तुम्हें बर्बाद करके छोड़ेंगे। इस प्रकार पीड़ित का  कंपनी पर  बकाया  24लाख 28 915 पाने का अधिकारी  है। पीड़ित द्वारा कंपनी की तरफ से 20 जुलाई 2016 तक काम लिया जाता रहा‌। इसी बीच कूट रचित दस्तावेज जो 30 जून 2016 के माध्यम से रामबाबू और अनिल अग्रवाल द्वारा अपराधिक षड्यंत्र करते हुए पिछले दिनों एजेंसी समाप्त कर दिया गया। जिसके चलते हमारी फर्म और कंपनी के बीच 26 वर्षों में बनाई गई साख की क्षति के साथही मानसिक उत्पीड़न कंपनी द्वारा किया गया है। विद्वान न्यायाधीश ने परिवादी द्वारा दिए गए साक्ष्यों और सबूतों के आधार पर आरोपियों को प्रथम दृष्टया उपरोक्त धाराओं का दोषी प्रतीत होता बताया गया है। जिसके आधार पर सीएमडी सुरेश नारायणन सहित कंपनी के 17 अधिकारियों और कर्मचारियों को 28 अक्टूबर को न्यायालय में तलब किया है। देखना यह है कि पीड़ित को न्याय मिलता है अथवा नहीं

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