कैबिमैन शैलैश हत्या काण्ड के खुलासे के लिए रेल कर्मियों से सहयोग की थानाध्यक्ष ने की अपील

बलिया। रेलवे के केबिनमैन शैलेश तिवारी हत्याकांड के मामले में रेलवे मजदूर यूनियन के द्वारा विवेचना के नाम जीआरपी के अफसरों द्वारा उत्पीडन करने का आरोप लगाया गया था। जिसके सम्बन्ध में जीआरपी के उपनिरीक्षक शिवचंद यादव ने कहा कि  रेलकर्मियों के यथासंभव सहयोग न मिलने के चलते अब तक इस प्रकरण का खुलासा नहीं किया जा सके । बयान के लिए उन्हें बुलाने पर वे आते ही नहीं बल्किअपने संगठन के माध्यम से जीआरपी पर ही दबाव बनाने लगते  हैं। जिसकी वजह से ही अब तक विवेचना प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे के अधिकारी भी इस प्रकरण के खुलासे में सहयोग की जगह हिला—हवाली कर रहे हैं।
जीआरपी  थाना प्रभारी ने  बताया कि रेलकर्मियों के आरोप बिल्कुल निराधार है‌। उल्लेखनीय है कि विगतज्ञ06 फरवरी 2018 रेलकर्मी शैलेष तिवारी जो रेलवे स्टेशन की पश्चिमी केबिन पर ड्यूटी कर रहे थे । जहां गम्भीर रूप से धायलावस्था में अपनी केबिन के अन्दर स्टेशन मास्टर राजू राय को मिले थे। जिनको उपचार के लिए जिला अस्पताल  ले जाया गया जहां से प्राथमिक उपचार बाद उनकी स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल  से उन्हें वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया  जिनकी रास्ते में मौत हो गयी। स्टेशन मास्टर राजू राय के मेमो/तहरीर के आधार पर घटित घटना के सम्बंध में अभियोग पंजीकृत कराया गया। स्टेशन मास्टर राजू राय की तहरीर एवं रेल कर्मियों के बयान एवं रेलकर्मियों द्वारा उपलब्ध कराये गये साक्षीगण के बयान के आधार पर उक्त अभियोग की विवेचना चलती रही, परन्तु उक्त अभियोग का अनावरण अब तक नहीं हो सका। उप महानिरीक्षक लखनऊ द्वारा इस प्रकरण के अनावरण हेतु एक टीम गठित की गयी जिस टीम द्वारा उक्त अभियोग की विवेचना के क्रम में प्रथन सूचना रिपोर्ट के अंकित तथ्यों के आधार पर विवेचना करते हुए रेलकर्मी और स्वत्रंत व्यक्ति एवं उपलब्ध कराये गये साक्षीगण के द्वारा दिये गये बयान  का परीक्षण किया गया तो प्रथम सूचना रिपोर्ट भ्रामक एवं तथ्यहीन पायी गयी। इस मामले में कुछ रेलकर्मियों की भूमिका संदेहास्पद पायी जाने लगी। कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख जो मृतक के हस्तलेख और मृतक द्वारा ट्रेन संचालन से सम्बंधित है मांगे जाने पर अब तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा था। तरह-तरह के बहाने बनाये जा रहे थे और कुछ रेलकर्मी सहजता से अपना बयान दर्ज कराने हेतु उपलब्ध नही होते थे । यदि कभी बयान दर्ज कराने आते भी तो भीड़ की शक्ल में आते थे । पूछताछ में बाधा उत्पन्न करते थे जिसके कारण रेलवे के उच्चाधिकारी से पत्राचार कर आवश्यक अभिलेख मांगा गया एवं सम्बंधित रेलकर्मी को बयान हेतु गोरखपुर बुलाया जाने लगा। पत्राचार के उपरान्त मात्र कुछ ही मूल अभिलेख मिले मृतक के हस्तलेख के मूल अभिलेख अभी तक उपलब्ध नहीं कराये गये है, लगातार बहाने बाजी की जा रही है।कुछ रेल कर्मी जिनको पूछताछ हेतु बुलाया गया था उनके द्वारा भी आवश्यक प्रश्न जिनके उत्तर से अभियोग अनावरण की संभावना है, का उत्तर नही दिया जा रहा है। बाद में याद कर उत्तर देने की बात कहकर अब तक बच रहे है। जिससे  संदेह गहराता जा रहा है। विवेचना में आयी गति एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित भ्रामकता हटने, उपब्ध कराये गये साक्षीगण के बयान परीक्षण एवं अपने द्वारा पूर्व में अंकित बयान से मूल प्रश्न से बचने के लिए एवं विवेचना को प्रभावित करने हेतु तरह तरह के हत्थकण्डे अपनाते जा रहे है फिर भी इनके द्वारा यूनियन से भी समर्थन लेने का प्रयास किया जा रहा है। विवेचना टीम जीआरपी पर लगाये गये आरोप निराधार है। क्योकि जिन रेलकर्मी के बयान गोरखपुर बुलाकर लिया गया है पूरे पूछताछ का वीडियों रिकाडिंग उपलब्ध है। जिसे रेलवे के उच्चाधिकारीगण द्वारा देखा जा सकता है। यदि कोई रेलकर्मी गोरखपुर आकर अपना बयान अंकित नही कराना चाहता है तो उक्त रेल कर्मी का बयान रेलवे के उच्चाधिकारी के सहमति पर उनके सामने करने को पुलिस टीम तैयार है। कुछ रेल कर्मियों द्वारा दिये गये बयान ही उनको संदेह के दायरे में लाकर खड़ा करने के लिए पर्याप्त  है। यदि यह अपने बयान के आधार पर ही सही उत्तर दे दें तो अभियोग अनावरण में सहजता होगी एवं इनके द्वारा दिशा भ्रमित कराये गये विवेचना को सही दिशा मिल जायेगी ।

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