बलिया। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए२६अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए प्रत्याशियों ने अपनी अपनी ताकत झोंक दी है लेकिन मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों की धड़कनों को बढ़ाने के लिए काफी है। जनसंपर्क के दौरान हर मतदाता हर प्रत्याशी को अपना विश्वास मत देने का भरोसा तो दिला रहा है परंतु प्रत्याशी ओहा पोह की स्थिति में है वह नहीं जानता कि कौन सा मतदाता सच बोल रहा है या वास्तविक रूप से उनके पक्ष में मतदान करने का मन बना चुका है। जी की यही दशा ग्राम सभाओं के प्रधान पद के प्रत्याशियों के सामने भी दिखाई पड़ रही है कोई गांव ऐसा नहीं है जहां प्रधान पद कि 1 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में ना हो ऐसी स्थिति में मतदाताओं का विश्वास मत किधर जाएगा यह कहा जाना फिलहाल असंभव नजर आ रहा है। ग्राम सभा सदस्य पद के प्रत्याशियों की संख्या विगत चुनाव की अपेक्षा काफी कम है जिसके चलते कई स्थानों पर प्रधान पद के प्रत्याशी मतगणना के बाद विजय तो हो जाएंगे लेकिन ग्राम सभाओं का गठन लटका रहेगा, क्योंकि पर्याप्त मात्रा में ग्राम सभा सदस्यों ने इस बार नामांकन नहीं किया है। जहां तक जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के बारे में सर्वे किया गया है, तो कई स्थानों पर पूर्व प्रत्याशियों की अपेक्षा नए प्रत्याशियों के प्रति मतदाताओं का रुझान अधिक है ।वहीं कुछ स्थानों पर रूढ़िवादिता के चलते मतदाता चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत सदस्य पद पार्टी समर्थित और मैदान में डटे प्रत्याशियों के सामने भी चुनाव जीतने की राह आसान नजर नहीं आ रही है। प्रशासन की चुस्ती और पुलिस प्रशासन की चेतावनीओं के बीच इस बार कोरो ना के चलते भी लोग अपने प्रत्याशियों के साथ घूमने से भी कतरा रहे हैं, लेकिन आश्वासन देने से पीछे नहीं हट रहे अब जो भी हो आगामी 2 मई को ही मतगणना के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि कौन किसके साथ था और आश्वासन तो दिया परंतु अपना मत मनपसंद प्रत्याशी को ही दिया।उन्हें तो स्पष्ट रूप से नकार दिया । ऐसी स्थिति में गांव से शहर तक राजनैतिक सरगर्मियां चरम परहैं,आरोप-प्रत्यारोप का दौर फिलहाल चल रहा है। जिसमें प्रशासन यदि सोच समझकर कार्रवाई करना भी आरंभ कर दिया है। प्रशासन ने मतदान के दिन जगह -जगह शांतिपूर्ण मतदान कराये जाने के लिए कटिबद्ध है। इन समस्याओं की ओर तत्काल जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस प्रशासन को गंभीरता से विचार करना आज की आवश्यकता है।
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