बलिया। जनपद में कोरोना के प्रथम चरण से ही लड़ रहे करोना वैरीयस सफाई कर्मी, पत्रकार, समाचार वितरक और रोडवेज के कर्मचारी से अधिक खतरनाक जान जोखिम में डालकर सफाई का कार्य करने वाली नगर पालिका कर्मियों कि शायद अब जिला प्रशासन को जरूरत नहीं पड़ने वाली। जब लोगों को यह भय था कि कब किसकी जान चली जाय कहा नही जा सकता था, जब लोगो को एक जगह से उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाना था , तो देश के हर बड़े नेता, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री ने चाहे रोडवेज कर्मचारी हो, रेल कर्मचारी हो या नगर पालिकाओं के सफाई कर्मचारी से लेकर अन्य कर्मी हो,काम निकालने के लिये इन लोगो को कोरोना वॉरियर्स समझा जाता रहा । यही नही जान जोखिम में डालकर लोंगों को हो रही दिक्कतों की खबर बनाकर सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने वाले पत्रकारों को भी पीएम मोदी ने कोरोना वॉरियर्स कह कर पीठ थपथपाने का काम किया । लेकिन जब
कोरोना पर सरकार ने नियंत्रण प्राप्त कर लिया तो कोरोना वॉरियर्स को तो कोई अब पूंछने वाला ही नही रहा । कोरोना का टीका आया तो वरीयता तय कर दी गयी कि सबसे पहले फ्रंट लाइनर वर्कर /कोरोना वारियर्स को टीका लगेगा । जिसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों को लगा,पुलिस कर्मियों को लगा, प्रशासनिक अधिकारियों व अन्य कर्मियों को लगा,मंत्रियों सांसदों , विधायकों को भी लगा ,परन्तु नही लगा तो रेल कर्मचारियों, रोडवेज कर्मचारियों,गंदगी को साफ करने वाले सफाई कर्मियों और नगरपालिका कर्मियों और पत्रकारों को । क्योकि टिका आने के बाद ये लोग कोरोना वारियर्स की सूची से रहस्यमयी ढंग से गायब हो गये है । जबकि सबसे अधिक आज भी यही लोग खतरे का सामना कर रहे हैं। इन कर्मियों में अपने को लेकर सरकारी भेदभाव से आक्रोश बढ़ता नजर आ रहा है यदि यही रवैया रहा तो संकट की घड़ी में यह भी करो ना वायरियस ने अपने हाथ खड़े कर दिए तो क्या होगा ।अभी भी समय है, इस गलती को सरकारी तंत्र जल्द से जल्द सुधार करते हुए इन कोरोना वेरियस को भी टीका लगवाने के लिए अभियान चलाकर सुरक्षा प्रदान करें ताकि इनके प्राणों की भी रक्षा की जा सके ।
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