दहेज लोभियों के उत्पीड़न से खुदकुशी नहीं संघर्ष के लिए तैयार रहना ही महिलासशक्तिकरण की बननी चाहिए पहचान-डा०हैदर अली खां

बलिया। अंजुमन तरक्की उर्दू के संरक्षक एवं टीडी कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉक्टर हैदर अली खान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पिछले दिनों साबरमती नदी के किनारे आयशा नमक एक महिला ने ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग से तंग आकर नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली, दुखद अवश्य है लेकिन अपने को अबला से ऊपर उठकर उसे लड़ना चाहिए था और लड़ते-लड़ते अगर वह मर जाती तो हम महिला शशि सशक्तिकरण को मजबूत होते देखते और उसे बधाई देते उसे सम्मानित भी करते हैं। दहेज की मांग करने वाले पति को यह अच्छा सबक भी सिखा सकती थी कि देश के कई कानून पीड़ित महिलाओं के पक्ष में हैं और कई संस्थाएं भी ऐसे पीड़ितों की मदद के लिए तैयार रहती है क्या ही अच्छा होता अगर वह हर उस जगह पर दस्तक देती जो उसे अलार्म सुनने क्या हमेशा तैयार है। उन्होंने भारतीय दंड संगीता की धारा 498 दहेज लोगों को अच्छा सबक सिखाने के लिए सक्षम है ठीक इसी तरह महिलाओं की सुरक्षा हेतु घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 भी उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है महिला को आर्थिक शारीरिक मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न करने वालों से सुरक्षा प्रदान करती है तथा उन्हें दंडित भी कराता है इसके अतिरिक्त भी कई प्रावधान मौजूद हैं जिन का सहारा लिया जा सकता था लेकिन आयशा धर्म में स्वीकृत चला या खुला भी ले सकती थी वर वधु दोनों पक्ष मिलकर सुलह सफाई की कोशिश भी कर सकते थे बहरहाल जो हो नहीं होना चाहिए था वह तो हो गया अब किसी और  आंवला को मरना नहीं वर्ण लड़ना चाहिए उल्लेखनीय है कि गुजरात पुलिस ने घटना का संज्ञान लेकर आयशा के पति आरिफ खान के विरुद्ध आत्महत्या के लिए उकसाने का एफ आई आर दर्ज कर लिया है और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है उसे अगर कड़ी सजा मिलती है तो समाज में एक अच्छा संदेश दहेज लोगों के बीच जाएगा।

Post a Comment

0 Comments