मंत्री द्वाराजिला अस्पताल में आंख ऑपरेशन के दौरान उगाही का आरोपी चिकित्सकके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हुई।मुख्यमंत्री से जांच की मांग कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग।
बलिया। आए दिन घोटालों अनियमित नियुक्तियों और मरीजों के साथ ही अस्पताल में गंदगी को लेकर आए दिन सुर्खियों में रहने वाला जिला अस्पताल और वहां तैनात पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डॉ एस प्रसाद द्वारा मरीजों के आंख के ऑपरेशन के नाम पर रंगे हाथ धन उगाही करते प्रदेश सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला द्वारा पकड़े गए चिकित्सक जो लंबे अंतराल से जनपद में मठाधीशी कर रहे हैं के विरुद्ध आखिर मरीजों का पैसा वापस करा देना ही क्या भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का सलूशन समझा गया है। एक ऐसे चिकित्सक को जो गरीब मरीजों से ऑपरेशन के नाम पर धन उगाही की शिकायत मिलने पर प्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा रंगे हाथों पकड़ा जाता है और कुछ ही दिनों में उस वरिष्ठ चिकित्सक को जिला अस्पताल के अधीक्षक पद पर तैनाती देकर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी द्वारा कार्रवाई के स्थान पर प्रोन्नति किया जाना क्या स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को प्रमाणित नहीं करता। बिना जांच के दोषमुक्त और प्रोन्नति प्रदान करना सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है ।दूसरी ओर सरकार जगह-जगह दावे ठोक रही है कि वह भ्रष्टाचार को समूल नाश कर देंगे, आखिर कैसे। यह प्रश्न आज जनपद के बच्चे बच्चे की जबान पर है प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता लेकिन उनके अधीनस्थ नौकरशाहों की मनमानी पर कैसे नियंत्रण किया जाए यह एक यक्ष प्रश्न है, जिसका उत्तर बलिया की जनता चाहती है। यहां यह भी प्रश्न उठ खड़ा हुआ है की रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद मरीजों को पैसा वापस दिलाने के बाद भी उक्त चिकित्सा अधिकारी जो अपने आप को दलित का मसीहा बताता है के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार के मंत्री और उनके गुर्गों के विवादित भुगतान को लेकर उन्हें क्षमादान कर प्रोन्नति किये जाने का दोषी आखिर कौन है और किससे इस कुकर्म की सजा मिलनी चाहिए। बलिया की जनता इसका जवाब सरकार से चाहती है ।
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