आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं परशुराम चतुर्वेदी साहित्यिक सेवाओं पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
बलिया। स्वदेशी फाउंडेशन एवं हिंदुस्तानी एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान में 16-17 को पं दीनदयाल उपाध्याय अनुसंधान एवं आरोग्य केंद्र महरेंव चितबड़ागांव में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं पंडित परशुराम चतुर्वेदी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जो महान विभूतिया जनपद की पहचान और धरोहर है। ज्ञात हो कि आचार्य हजारी परसाद द्विवेदी एक बड़े समीक्षक, उपन्यासकार एवं साहित्यकार थे। लेकिन पं परशुराम चतुर्वेदी ने संत साहित्य पर बहुत ही बुनियादी एवं शोध कार्य कर के जिले गौरव दिलाया है। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में कई राज्यों के विद्वानों ने सहभांग किया । इस अवसर पर दीन दयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा से अतिथि विद्वानों ने प्रतिभाग किया।गांव की मार्टी की इन दोनों महान विभूतियों के बारे में विद्वानों अपने विचार साझा किया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने यह पाया कि यह पूरा क्षेत्र संत साहित्य के लिए बहुत उर्वरा है । शाम को विद्ववानगण चितबड़ागांव स्थित रामाशाला भी गए और वहां पर बुला साहब, गुलाल साहब और धीमा साहब के मठ का दर्शन किया। गोष्ठी के अध्यक्षीय वक्तव्य के रूप में हिंदुस्तान अकैडमी के अध्यक्ष उदय परताप सिंह ने बताया कि आधुनिक युग में भी संतों का साहित्य हमारा मार्गदर्शन करने के लिए उपयोगी हो सकता है। उन्होंने बताया कि संतों ने समाज को जोड़ने का काम किया । संगोष्ठी के संयोजक डॉ0 सर्वेश पांडेय ने बताया कि संत साहित्य को लेकर के अभी बहुत शोध कार्य करना बाकी है। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ0 सिद्धार्थ शंकर ने स्वदेशी फाउंडेशन संत साहित्य पर आधारित संगोष्ठी को प्रासंगिक बताया । उन्होंने कहा कि अधिकांश संत साहित्यकार हस्तशिल्पी थे। इसके लिए उन्होंने कबीर, रज्जब, रैदास घनापा रज्जब जिसका उदाहरण भी दिया।
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