बलिया। जनपद के कई विभागों में सरकार की शासन नीति के तहत एक ही पद पर लगातार तीन वर्षों से उदासीन कर्मचारियों का नियंता स्थानांतरण किया जाना चाहिए। परंतु स्वास्थ्य विभाग सहित जनपद के विभिन्न विकास खंडों, शिक्षा विभाग बेसिक शिक्षा परिषद ारी कार्यालयों में शासन की तबादला नीति का पालन नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते विभाग में गरीब घुसपैठ बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। जनपद के विकास विशेषज्ञों का मानना है की सरकार की तबादला नीति का पालन आज की आवश्यकता हो गई है क्योंकि एक ही पद पर लगातार 10 12 और 15 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों द्वारा जमे रहने से विभागीय दस्तावेजों में हेरा फेरी की घटनाएं भी प्रकाश में आ रही है जो बाद में विवाद का कारण बन रही है। स्थानांतरण नीति का अनुपालन ना होने से जहां विकास कार्य अवरुद्ध हो रहा है वही राजस्व की लूट खसोट की वजह से कागजी परियोजनाएं पूरी हो जा रही है और धरातल पर नजर नहीं आ रही है। तबादला नीति के अनुसार ब्लॉक के मनरेगा लेखाकार, कंप्यूटर ऑपरेटर तकनीकी सहायक आज का स्थानांतरण वर्षों से लंबित चल रहा है जिसके चलते जनपद के प्रत्येक ब्लॉक में कहीं शौचालय निर्माण तो कहीं आवास वितरण में धांधली के प्रमाण मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजना का सत्य जानने के लिए जब अधिकारियों ने गांव गांव का दौरा कर भौतिक सत्यापन आरंभ किया जो व्यापक रूप से भ्रष्टाचार सामने आने लगा अधिकारियों के पास केवल चेतावनी देने के सिवा अथवा प्रथम किस्त पाने वाले लाभार्थियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की धमकी के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। वही मतदाता सूची मैं मनमानी के प्रमाण भी विभिन्न ग्राम पंचायतों में देखने को मिला। जहां तक स्वास्थ्य विभाग का सवाल है वहां तो केवल कागजी कोरम ही नजर आता है।
शिक्षा विभाग की बात करें तो वहां 2012 से लेकर माध्यमिक विद्यालयों में कथित नियुक्तियों के अनुमोदन और वेतन आराम के साथ ही ईजीपीएफ घोटाले में करोड़ों रुपए की जांच आज तक लंबित रखी गई है जबकि सीबीसीआईडी द्वारा जीपीएफ घोटाले की जांच के बाद भी कई आरोपित कथित शिक्षकों के वेतन भुगतान का काम किए जाने के प्रमाण दस्तावेजों में दफन कर दिए गए। सरकार बदलती रहे लेकिन नौकरशाह अपने नौकरी करते रहे और सरकारी धन का बंदरबांट करने में व्यस्त रहें। ऐसे में शासन को अपने आप सबसे लंबे समय से एक ही पद पर बने हुए अधिकारियों कर्मचारियों का तबादला नीति के अनुसार स्थानांतरण कर जांच कराए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। अब देखना यह है किस शासन और प्रशासन सरकार की तबादला नीति का पालन कब और कैसे करते हैं अथवा स्थानांतरण से हो रही सफेद पोशो की कमाई को देखते हुए सरकार की महत्वपूर्ण स्थानांतरण नीति को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
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