सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति प्रशासन संवेदनहीन

खेजुरी (बलिया)। सेवानिवृत्त सैनिकों तथा सैनिक के परिवारों के पास अपने छोटे-छोटे कामों के लिए शासन व प्रशासन के अवसर पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में सेवानिवृत्त सैनिक स्वर्गीय उमाशंकर सिंह की विधवा सुधरी देवी ने कहा- हमारे पति जब सेना से सेवानिवृत होकर घर पर आए तो उन्हें पता चला कि हमारी जमीन को चकबंदी के द्वारा स्थानीय भू माफियाओं के द्वारा जहां कम कर दिया गया है। वहीं नक्शे को ही इधर-उधर करा दिया गया है, जिसके लिए करीब 30 वर्षों से मुख्य राजस्व अधिकारी बलिया के न्यायालय में मामला विचाराधीन है ।जिसका समाधान उनके पति के द्वारा अपने जीवन काल में तो नहीं हो पाया उनके स्वर्गीय होने के बाद अब यह काम उन्हें देखना पड़ता है ।उन्होंने आगे बताया कि जब हम अस्पतालों में जाते हैं तो हमें किसी भी प्रकार की कोई प्राथमिकता सैनिक विधवा होने का प्राप्त नहीं होती. जाति आय निवास आदि प्रमाण पत्रों के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं। जिसके कारण प्रमाण पत्र बनवाना ही छोड़ दिया गया है ।सबसे दुखद बात है कि विधवा को पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए जीवित प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्याएं आती हैं जिसका समाधान शासन के स्तर पर होना ही चाहिए ।सेवानिवृत्त सैनिक स्वर्गीय शिव शंकर सिंह के पुत्र अनुज कुमार सिंह ने कहा कि सैनिकों के बेरोजगार बच्चे और बच्चियों को न तो कोई अस्पताल और नहीं किसी सरकारी संस्था में जीविकोपार्जन के लिए कोई वरीयता दी जाती है। शासन से उन्होंने मांग किया कि कोई ऐसी रणनीति बनाई जाए जिससे सेवानिवृत्त पूर्व सैनिक के परिजनों का जीवन स्तर दयनीयता से ऊपर उठकर इस स्तर का हो कि वह गर्व से कह सकें कि मुझे अपने पिताजी के द्वारा देश को दिए गए सेवा का प्रतिफल हमें प्राप्त हो रहा है। ब्यूरो प्रमुख

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