बलिया ।जिले के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की कमी के चलते ग्रामीणों को स्वास्थ सुविधाओं का लाभ लेने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के यहां लाइन लगानी पड़ रही है । हालांकि है जनपद में जनपद में 20 3 चिकित्सकों के सापेक्ष 101 चिकित्सक तैनात है, जिनमें अधिकतर चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस में व्यस्त होने के कारण अस्पताल में समय देने केवल उपस्थथिती पंजिका पर हस्रताक्षरकरने तक आनेका काम कर रहे हैं ,जिस का दंश ग्रामीणों को झेलना पड़ रहा है ।वहीं केंद्र और प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने और सुदूर इलाकों में बसे अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने का दावा कर रहे हैं ,इतना ही नहीं शासन की विभिन्न योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने का मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा दावा भी किया जा रहा है,। इतना ही नहीं शासन की मंशा के अनुरूप निर्धारित लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा रहा है, यदि वास्तविक रूप से इसकी जांच की जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी। स्वीकृत पदों के विरुद्ध कहीं एक चिकित्सक पदस्थ है तो कहीं फार्मासिस्ट के सहारे अस्पताल चल रहा है, ऐसी स्थिति में अक्सर संबंधित चिकित्सक बाहर अथवा फिर मुख्यालय अथवा पोस्टमार्टम के लिए मुख्यालय या बाहर चले जाते हैं तो ग्रामीणों को उपचार किसी तरह कराना पड़ता है। जनपद में 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 23 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं कई अस्पतालों में दवाओं के अभाव या औषधि की उपलब्धता अस्पताल में ताला लगे रहने का कारण भी बताई जा रही है। ऐसी स्थिति में जनपद के लोगों को भले ही प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड थमाकर उन्हें बहलाने ने का प्रयास किया जाए ,लेकिन वास्तविकता तो सबके सामने है ,ऐसा भी नहीं कि स्वास्थ्य केंद्रों के स्टाफ औषधि और रखरखाव से जिला प्रशासन भी अनभिज्ञ है ,लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी जिला प्रशासन को जब जैसे चाहते हैं उन्हें रास्ता बता देते हैं, जिस पर वे चलने में संकोच भी नहीं करते प्रशासन की अनदेखी का जनपद वासियों के स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ता है आगामी लोकसभा के चुनाव में सामने आएगा। इस संबंध में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं समाजसेवी अजीत मित्र ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में अवगत कराते हुए तत्काल चिकित्सकों की तैनाती के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के गांव की जांच निष्पक्ष कराए जाने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण किए जाने की मांग की है, उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर सरकार की छवि धूमिल करने का भी आरोप लगाया ।
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