केवल आश्वासनों पर मायूसी के साथ कैसे जीतेगी युवा ओ का राजनैतिक विश्वास

 बलिया ।जनपद समस्याओं के ढेर पर खड़ा है ,अपराध आरजकत, बलात्कार ,हत्या ऐसी अनेक समस्याएं हैं ,जिससे पिछा छुड़ाने के लिए पूरे वर्ष भर प्रशासनिक अमला कसरत करता रहता है ।और इन सबके मूल में है युवाओं की बेरोजगारी ,बेकार के साथ जीवन यापन के लिए आखिर क्या करें ।राष्ट्र निर्माण से लेकर सामाजिक विघटन के लिए कार्य इन हाथों में संपन्न होते हैं । ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिले में पढ़े और निरक्षर बेकार ओ की संख्या लाखों में है ।लेकिन इस समस्या की ओर न तो कोई राजनीतिक दल और ना ही सत्ता पक्ष मजबूती से सोच विचार कर रहा है ।गुजरे वर्षों में बेकार हाथों को काम तो नहीं मिले जिसके चलते यहां के युवाओं में नशाखोरी ,पलायन तथा अन्य सामाजिकविगठन दूरकरने के लिए हुए वादे हुए आखिर ऐसे कार्यों को रोकने में हमारा समाज अथवा सरकार गंभीर क्यों नहीं नजर आती ।आश्वासन का घुट पिला कर युवाओं को आखिर कब तक ठगाजाता ।रहेगा। वर्ष 2019 के चुनाव की बेला में भी युवाओं पर सभी पार्टियां अपना अपना दावा और डोरा डालने में जुटी हैं, एक बार फिर उन्हें सुनहरा सपना दिखाया जा रहा है ,शासन की घोषणा को माने तो देश में युवाओं को बेकारी भत्ता दिए जाने की घोषणा भी की जा रही है, क्या ऐसा हो सकेगा अथवा पिछली घोषणाओं की तरह सब कुछ राजनीतिक पर पंच बंनकर रह जाएगा ।जिले में 18 से 35 वर्ष के युवाओं की संख्या हजारों में है जिन्हें आश्वासन नहीं  रोजगार चाहिए ।यदि इन्हें सरकार के साध लिया तो बहुत कुछ हल हो सकता है, लेकिन क्या ऐसा होगा ।जरूरत है बेकार हाथों को काम देने की यदि बेकारी पर कुछ अंश तक भी नियंत्रण हुआ तो निसंदेह सामाजिक अपराधों में गिरावट आएगी ।वैसे हालात ऐसे तो नहीं की रोजगार के अवसर युवाओं को उपलब्ध हो सके।

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