बलिया। जनपद में छिट-पुट वर्षा के कारण वायुमंडल में नमी बढ़ने के कारण आलू की फसल में पिछैती झुलसा, मटर की फसल में तुलासिता (डाउनी मिल्डयू) एवं राई सरसों की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा व सफेदी गेरूई के प्रकोप की बीमारी व माहू कीट के निकट भविष्य में फैलने की संभावना है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रियानन्दा ने बताया कि आलू में पिछैती झुलसा, यह रोग पौधे की पत्तियों, डंठल एवं कंद सभी पर लगता है इसके प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर छोटे, हल्के पीले हरे अनियमित आकार के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं, जो शीघ्र ही बढ़ कर गीले और बड़े हो जाते हैं, बाद में इन धब्बों के चारों ओर सफेद फफूंदी आ जाती है। जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू पी 2 किग्रा0 अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू पी की 3 किग्रा0 की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मटर में तुलासिता रोग पौधों की वृद्धि रुक जाती है और वे कमजोर पीले हो जाते हैं। पत्तियों के ऊपर भूरे, पीले धब्बे हो जाते हैं मैनकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू पी अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू पी 2 किग्रा0 अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू पी के 3 किग्रा0 की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। राई सरसों में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा एवं सफेद गेरूई रोग तथा माहू कीट रोग के लक्षण पत्तियों के ऊपर सतह पर गहरे कत्थई रंग के गोल धब्बे होते हैं, जो छल्लेदार होते हैं एवं सफेद गेरूई में निचली सतह पर सफेद फफोले बनते हैं। जिसमें मैनकोज़ेब 75 प्रतिशत डब्लू पी अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू पी 2 किग्रा0 की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। माहू कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रति एस0एल0 की 250 मिली0 या डायमेथोएट 30 प्रति की 1.50 लीटर मात्रा को 600 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें। चने में फलीछेदक कीट इसके नियंत्रण हेतु क्यूनालफास या मैंलाथियान 50 प्रतिशत ई0सी0 की 1.50 लीटर मात्रा 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
---- खेतीवाड़ी संवाददाता की रिपोर्ट
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