बैरिया (बलिया)। क्षेत्र में शिक्षा जलाने वाले विद्यालय के संस्थापक दोआबा के पूर्व विधायक स्वतंत्रता सेनानी पंडित राम नाथ पाठक की 115 वी जयंती विद्यालय परिवार एवं राम नाथ पाठक स्मारक समिति के संयुक्त तत्वाधान में मनाया जा रहा है ।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा की किसी भी व्यक्ति के जयंती का सबसे पहला कारण उस व्यक्ति के कार्यों को हम सामाजिक जीवन में मान्यता दें अथवा उस व्यक्ति द्वारा समाज को क्या दिया इसका अकल करें, जिसका संदेश आम आम लोगों तक देना चाहते हैं, इन सारे प्रश्नों का उत्तर श्री पाठक जी के गुणों में मौजूद रहा ,विगत कई वर्षों से उनकी जयंती लगातार मनाई जाती है ।पाठक जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत के दिनों में 1955 में एक जूनियर हाई स्कूल के रूप में इस विद्यालय की बुनियाद रखी थी जो अपने जीवन के 50 वर्षों में अमरनाथ पाठक इंटर कॉलेज ,मुरार पट्टी के रूप में आज हमारे बीच शिक्षा की अलख जगा रहा है ।हाई स्कूल में कला विज्ञान वाणिज्य एवं कृषि के साथ इंटरमीडिएट में कला एवं विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं ।छात्र-छात्राओं कि इस विद्यालय में लगभग ढाई हजार संख्या है ।बालिकाओं की शिक्षा की मांग को देखते हुए एक कामनरूम की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है ।जिसके दिशा में विद्यालय की प्रबंध समिति प्रयासरत है। पाठक जी स्त्री शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहा करते थे, उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका महाविद्यालय और रामदुलारी पाठक निःशुल्क चिकित्सालय की स्थापना की है ।जो निरंतर प्रगति की ओर है । पूर्व प्रबंधक पाठक जी केपरिजन विद्यालय की निरंतर प्रगति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं ।उनका मानना है कि उनके अधूरे कार्यो को पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।जहाँ तक स्वतंत्रता संग्राम की बात की जाए। तो मुरारपट्टी के ब्राह्मण परिवार में जन्म हुए श्री पाठक ने अपने अप्रतिम योद्धा होने का सबूत पेश किया 18 वर्ष की आयु में पाठक ने अपने जीवन राष्ट की सेवा में अर्पित कर स्वतंत्र संग्राम की आग में कूद पड़े 1920 में महात्मा गांधी के आवाहन पर असहयोग आंदोलन में पूरी निष्ठा और कर्मठता के साथ समर्पित रहे गांधीवादी विचारों से प्रेरित होकर वह 1930 में सक्रिय राजनीति में आए और गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में अपनी मित्र मंडली के साथ उनका सफल नेतृत्व किया। द्वाबा की जनता को स्वतंत्रता दिलाने के लिए 1930 ,32 ,1941 1942 में अनेकों बार उन्हें जेल की यात्रा करनी पड़ी ।आंदोलन में इन्होंने दोआबा क्षेत्र के संग्राम के वीरों एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं को संगठित करके 18 अगस्त 1942 को बैरिया थाने पर विरोध प्रदर्शन किया ।1962 में दोआबा क्षेत्र का विधायक के रुप में ने तृत्रित्व का अवसर मिला ,इस दौरान उन्होंने अनेक ऐतिहासिक कार्य किए जिसमें बलिया रेवती और बैरिया से लालगंज गांव को जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण कराया आज भी पाठक जी और उनकी यादें हमारे बीच उनके कृत्यों के रूप में विधि विद्यमान है।
0 Comments